उलझी ऊन सुलझी बुनाई
मिसेज तेजवती के जैसा स्वेटर की बुनाई करने वाला तो मुझे आजतक नही दिखा । वे बुनाई भी करती जातीं और बात भी करती जातीं । वे स्वेटर बुनाई के साथ साथ मेगजीन वगैरह भी पढ़लेती थी । बुनाई की स्पीड तो इतनी तेज थी कि अभी देखो तो सलाई पर फन्दे डाल रही हैं और अभी देखो तो बार्डर तैयार , अगले दिन पल्ला तैयार , अगले हफ्ते ही इलाके का कोई ना कोई बच्चा वो स्वेटर पहिने खेलता नजर आ जाता था । इस तरह तेजवती जी सीजन मे काफी कमाई कर लेती थी । हालाकि उनकी बुनाई लोगो को बहुत महंगी पड़ती थी फिर भी जबरदस्त ‘ क्वालिटी ‘ के कारण लोग उनसे स्वेटर बनवाना पसन्द करते थे ।
गरमी की छुट्टियों मे तेजवती जी अपने बच्चों को लेकर अपने मायके चली जाती थी । उनका मायका जिस शहर मे था वहाँ ऊन बनाने की फेक्टरियाँ लगी हुई थी । तेजवती वहाँ से सस्ते मे ऊन की लच्छियाँ खरीद कर ले आती थी । फिर उन लच्छियों के गोले बना कर रख लेती थी । लोंगो की डिमांड के अनुसार स्वेटर बना कर बेच देती थी, और काफी पैसे कमा लेती थी । इस बार उनका दोहरा फायदा हुआ । फेक्टरी वाले ने ढ़ेर सारी उलझी हुई रंग बिरंगी ऊन उनको मुफ्त मे दे दी । तेजवती सारी ऊन खुशी से ले आई ।
तेजवती ने पहले तो उलझी ऊन को सुलझा कर गोले बनाने की कोशिश की पर बार बार ऊन तोड़ कर फिर से जोड़नी पड़ रही थी । थक हार कर उन्होने गोले बनाने का इरादा ही छोड़ दिया । अचानक उनको एक आइडिया आया और उन्होने ऊन का एक लम्बा सा धागा खीचा और बुनाई शुरु कर दी । और इसी तरह धागे खीचा तोड़ कर बुन दिया फिर से नया धागा खीचा ,तोड़ा और बुना ।
जब वे इस तरह की बुनाई कर रही थी तो बड़ा मजेदार दृश्य दिख रहा था । एक ओर ऊन का बेहद उलझा हुआ फालतू सा ढ़ेर और उसी से तैयार होता रंग बिरंगा स्वेटर ! मैने उनसे ऊन के गोले ना बना पाने का कारण पूछा तो बोली कि ” ऊन इतनी ज्यादा उलझी है कि सुलझाने बैठे तो वही करते रह जायेगें और स्वेटर बनाने का जरूरी काम पीछे छूट जायेगा । या हो सकता है कि ना ही ऊन सुलझे ना ही गोले बने और ना ही स्वेटर ! तो हमने सोचा कि मुख्य काम तो स्वेटर बनाना है वही करना चाहिये । ”
मैने उनकी समझदार समझ की दाद दी तो वे मुस्कुराते हुए बोली ” इसी तरह हमारी जिन्दगी भी इस उलझे हुए ऊन की तरह है अगर हम हर चीज को सुलझाने मे ही लगे रहे तो सब कुछ तो सुलझने से रहा और हमारा बेहद कीमती वक्त भी निकल जायेगा । अतः हमे चाहिये अपने स्वयं मे परिवर्तन लाकर खुद की जिन्दगी को इस बनते हुए स्वेटर की तरह बनायें । खूबसूरत जिन्दगीनुमा स्वेटर मे गुंथती ‘ ऊन ‘ अपने आप सुन्दर रूप ले लेगी ।”
हल्की